दिग्विजय महाविद्यालय के प्राणीशास्त्र विभाग का शैक्षणिक भ्रमण: दुधावा डेम के केज कल्चर इकाई का अवलोकन
बदलते समय में अनुभव आधारित शिक्षा की पहल
आज के दौर में शिक्षा केवल किताबों तक सीमित नहीं है, बल्कि प्रत्यक्ष अनुभव से छात्रों को सीखने का अवसर प्रदान करना भी बेहद जरूरी हो गया है। इसी कड़ी में शासकीय दिग्विजय महाविद्यालय, राजनांदगांव के प्राणीशास्त्र विभाग ने छात्रों को एक अनूठा अवसर दिया।
शैक्षणिक भ्रमण का आयोजन
महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. सुचित्रा गुप्ता के मार्गदर्शन और विभागाध्यक्ष डॉ. किरण लता दामले के निर्देशन में एम.एससी. जूलॉजी के 75 छात्र-छात्राओं के लिए कांकेर जिले के दुधावा डेम में संचालित केज कल्चर इकाई का शैक्षणिक भ्रमण आयोजित किया गया।
इस भ्रमण का नेतृत्व प्रो. चिरंजीव पांडेय एवं श्रीमती करूणा रावटे ने किया।
केज कल्चर इकाई का महत्व
भ्रमण के दौरान विद्यार्थियों को केज कल्चर (Cage Culture) के बारे में व्यवहारिक जानकारी दी गई। यह तकनीक आधुनिक मत्स्य पालन (Aquaculture) की सबसे प्रगतिशील विधियों में से एक मानी जाती है। इसमें जलाशयों, नदियों या डेम में विशेष प्रकार के पिंजरों (Cages) में मछलियों का पालन किया जाता है, जिससे उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर भी मिलते हैं।
दुधावा डेम का परिचय
कांकेर जिले में स्थित दुधावा डेम न केवल सिंचाई और पेयजल का प्रमुख स्रोत है, बल्कि यह मत्स्य पालन और पर्यटन की दृष्टि से भी एक महत्वपूर्ण स्थल है। यहां पर चल रही केज कल्चर इकाई ने विद्यार्थियों को प्रयोगात्मक शिक्षा का अनुभव कराया।
शैक्षणिक भ्रमण का लाभ
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छात्रों को प्रत्यक्ष रूप से मत्स्य पालन तकनीकों का ज्ञान मिला।
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आधुनिक एक्वाकल्चर पद्धतियों को समझने का अवसर मिला।
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भविष्य में रोजगार और शोध कार्य के नए रास्ते खुले।
निष्कर्ष :-
दिग्विजय महाविद्यालय के प्राणीशास्त्र विभाग द्वारा आयोजित यह शैक्षणिक भ्रमण छात्रों के लिए न केवल ज्ञानवर्धक रहा, बल्कि यह उनके भविष्य के करियर और रिसर्च कार्यों के लिए भी प्रेरणादायक साबित होगा।