छत्तीसगढ़ के मेडिकल कॉलेजों में फैकल्टी की संकट: 1036 पद खाली, प्रमोशन और भर्ती की दरकार -
छत्तीसगढ़ के 10 सरकारी मेडिकल कॉलेज इस वक्त भारी फैकल्टी संकट से जूझ रहे हैं। प्रदेश में कुल 1036 फैकल्टी पद खाली हैं, जिससे मेडिकल शिक्षा की गुणवत्ता और कॉलेजों की मान्यता दोनों पर संकट मंडरा रहा है। यदि समय रहते भर्ती और प्रमोशन की प्रक्रिया नहीं हुई, तो आगामी शैक्षणिक सत्र 2025-26 के लिए कॉलेजों की मान्यता पर असर पड़ सकता है।
कॉलेजों में खाली पदों की स्थिति
पद का नाम |
स्वीकृत पद |
रिक्त पद |
---|---|---|
प्रोफेसर |
235 |
108 |
एसोसिएट प्रोफेसर |
395 |
183 |
असिस्टेंट प्रोफेसर |
556 |
338 |
सीनियर रेसीडेंट |
402 |
286 |
डेमोंस्ट्रेटर | 301 | 122 |
100 से ज्यादा एसोसिएट प्रोफेसर दो साल से प्रमोशन का इंतजार कर रहे हैं। प्रमोशन के बाद उनका तबादला अन्य मेडिकल कॉलेजों में होना तय है, लेकिन रायपुर जैसे बड़े शहरों में जमे डॉक्टर प्रमोशन से बचना चाहते हैं क्योंकि इससे उनकी स्थानीय प्राइवेट प्रैक्टिस प्रभावित होगी।
कॉलेजों की मान्यता पर मंडरा रहा खतरा
4 मई को NEET-UG परीक्षा होने जा रही है, उसके पहले NMC (नेशनल मेडिकल काउंसिल) द्वारा कॉलेजों का निरीक्षण किया जाना है। लेकिन फैकल्टी की कमी के चलते कॉलेज निरीक्षण की तैयारियां अधूरी दिख रही हैं। बिना पूरी फैकल्टी के, सीटों की मान्यता पर असर पड़ सकता है जिससे छात्रों के दाखिले पर संकट खड़ा हो सकता है।
नेहरू मेडिकल कॉलेज बेहतर, बाकी कॉलेज बेहाल
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नेहरू मेडिकल कॉलेज रायपुर में फैकल्टी की स्थिति संतोषजनक है।
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वहीं सिम्स बिलासपुर, रायगढ़, कोरबा, अंबिकापुर, महासमुंद, कांकेर, दुर्ग, और जगदलपुर में फैकल्टी की भारी कमी है।
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दुर्ग में MBBS की 200 सीटें हैं, लेकिन फैकल्टी केवल 100 सीटों लायक है।
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कांकेर में एनाटॉमी पढ़ाने वाला MD डिग्रीधारी कोई नहीं है, सिर्फ MSc टीचर से काम चलाया जा रहा है।
डॉक्टर्स का ट्रांसफर विरोध और लोकेशन की राजनीति
कई सीनियर डॉक्टर दशकों से रायपुर में पदस्थ हैं और वे दूसरे कॉलेजों में ट्रांसफर नहीं होना चाहते। इसका असर प्रमोशन और भर्ती प्रक्रिया दोनों पर पड़ रहा है। कुछ डॉक्टरों ने हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी ट्रांसफर से बचाव पा लिया, जो एक बड़ा सवाल खड़ा करता है।
निष्कर्ष :-
छत्तीसगढ़ के मेडिकल कॉलेजों में फैकल्टी की भारी कमी, प्रमोशन में देरी और स्थान विशेष की राजनीति से शिक्षा व्यवस्था पर बुरा असर पड़ रहा है। यदि समय रहते इस संकट को हल नहीं किया गया, तो प्रदेश की स्वास्थ्य शिक्षा व्यवस्था गंभीर संकट में पड़ सकती है।
👉 छात्रों और अभिभावकों को चाहिए कि वे कॉलेज में दाखिला लेने से पहले फैकल्टी और इंफ्रास्ट्रक्चर की जानकारी अवश्य लें।