2025 में, भारतीय ई-कॉमर्स उद्योग में दो प्रमुख प्रवृत्तियाँ उभर रही हैं: हरित (ग्रीन) प्रथाओं और सामाजिक वाणिज्य (सोशल कॉमर्स) की ओर बढ़ता झुकाव :-
♻️ हरित ई-कॉमर्स की ओर रुझान :-
बढ़ती पर्यावरणीय जागरूकता के साथ, उपभोक्ता अब अधिक टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल उत्पादों की मांग कर रहे हैं। ई-कॉमर्स कंपनियाँ इस मांग को पूरा करने के लिए निम्नलिखित कदम उठा रही हैं:
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बायोडिग्रेडेबल पैकेजिंग: प्लास्टिक की जगह जैव-अपघटनीय सामग्री का उपयोग।
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कार्बन-न्यूट्रल डिलीवरी: डिलीवरी के दौरान उत्पन्न कार्बन उत्सर्जन की भरपाई के लिए हरित पहलें।
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स्थायी स्रोतों से उत्पाद: ऐसे उत्पादों की पेशकश जो पर्यावरण के लिए कम हानिकारक हों।
सरकार भी इस दिशा में विभिन्न योजनाओं और प्रोत्साहनों के माध्यम से योगदान दे रही है, जिससे ई-कॉमर्स कंपनियाँ हरित प्रथाओं को अपनाने के लिए प्रेरित हो रही हैं।
📱 सामाजिक वाणिज्य का उदय :-
सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स जैसे इंस्टाग्राम, फेसबुक और व्हाट्सएप अब केवल संचार के माध्यम नहीं रहे; वे खरीदारी के केंद्र बन गए हैं। सामाजिक वाणिज्य के माध्यम से उपभोक्ता सीधे इन प्लेटफ़ॉर्म्स पर ब्राउज़, समीक्षा और खरीदारी कर सकते हैं।
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इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग: प्रभावशाली व्यक्तियों के माध्यम से उत्पादों का प्रचार।
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लाइव स्ट्रीमिंग शॉपिंग: सीधे प्रसारण के दौरान उत्पादों की प्रस्तुति और बिक्री।
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चैटबॉट्स और एआई: उपभोक्ताओं को व्यक्तिगत खरीदारी अनुभव प्रदान करने के लिए।
यह प्रवृत्ति विशेष रूप से युवा और डिजिटल रूप से सक्रिय भारतीय उपभोक्ताओं के बीच लोकप्रिय हो रही है। (bloggergaurang.com)
✍️ निष्कर्ष :-
2025 में, भारतीय ई-कॉमर्स उद्योग हरित प्रथाओं और सामाजिक वाणिज्य की ओर तेजी से बढ़ रहा है। यह न केवल पर्यावरण के लिए लाभकारी है, बल्कि उपभोक्ताओं को अधिक व्यक्तिगत और सुविधाजनक खरीदारी अनुभव भी प्रदान करता है।